Thursday, 7 November 2013

याद किए गए साहित्यकार परमानन्द श्रीवास्तव...

इलाहबाद, 06/11/2013.
कवि, कथाकार और आलोचक परमानन्द श्रीवास्तव की स्मृति में जन संस्कृति मंच, प्रगतिशील लेखक संघ और जनवादी लेखक संघ के संयुक्त तत्वावधान में स्मृति सभा का आयोजन किया गया. इस आयोजन में शहर के अनेक बुद्धिजीवी, संस्कृतिकर्मी और साहित्यकार परमानन्द जी के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए उपस्थित थे.

कार्यक्रम में उपस्थित कवि विवेक निराला ने कहा कि 'परमानन्द जी का लेखन नई पीढ़ी के लेखकों को आश्वस्ति प्रदान करता था...जिस समय कविता पर सर्वाधिक हमले हो रहे थे उस समय परमानन्द जी ने कविता के पक्ष में अपनी लेखनी उठाई.' सामाजिक कार्यकर्त्ता सीमा आजाद ने परमानन्द जी के बारे में अपने पारिवारिक अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि 'अंत तक उनकी चिंता के केंद्र में  साहित्य ही रहा...मुझे मार्क्सवाद के प्रति आकर्षित करने का श्रेय परमानन्द जी को है.'

जसम के महासचिव प्रणय कृष्ण ने उनके साहित्यिक और सांस्कृतिक योगदान पर प्रकाश डाला. प्रणय कृष्ण ने कहा कि 'परमानन्द जी ने प्रगतिशील मूल्यों को बनाये रखते हुए  काव्यभाषा  पर विचार किया. उन्होंने न तो काव्यभाषा को धकेला और न उसे सर्वोपरि निकष बनाया. कबीर-दादू-ग़ालिब से लेकर अब तक के कवियों को समकालीन मान कर पढ़ना परमानंद जी की आलोचना पद्धति की उल्लेखनीय विशेषता थी. वे गोरखपुर में सामंती मूल्यों के बरक्स प्रगतिशील मूल्यों के प्रति समर्पित थे.'

 रामजी राय ने कहा कि 'परमानन्द जी से लोगों का एक बहस का रिश्ता था. उनके साथ एक सार्थक बहस की गुंजाईश हमेशा बनी रहती थी. वरिष्ठ आलोचक प्रो.राजेन्द्र कुमार ने परमानन्द जी को एक बेख़ौफ़ शख्सियत बताया. जो नए से नए लेखकों पर भी अपनी नजर रखता था.

इतिहासकार लालबहादुर वर्मा ने उन्हें गहरी जिजीविषा का धनी कहा. तो कथाकार दूधनाथ सिंह ने उन्हें सदैव लिखते-पढ़ते रहने वाला सजग लेखक बताया. दूधनाथ सिंह ने कहा कि 'परमानन्द जी हिंदी के क्षेत्र के अजातशत्रु थे. सुसंस्कृति उनके व्यक्तित्व का खास पहलू थी.' कार्यक्रम की अध्यक्षता कामरेड जिया उल हक़ ने की. प्रो. संतोष भदौरिया ने कार्यक्रम का संचालन किया . स्मृति सभा में सूर्य नारायण सिंह, उर्मिला जैन, उन्नयन के संपादक श्रीप्रकाश मिश्र, अनीता गोपेश आदि ने अपने भावपूर्ण विचार रखे.

कार्यक्रम में कवि हरीशचन्द पाण्डेय, कवि रतिनाथ योगेश्वर, विश्वविजय, वरिष्ठ अधिवक्ता उमेश नारायण शर्मा, कवी श्रीरंग, कहानीकार अशरफ अलीबेग, हरिश्चंद द्विवेदी, कवि नन्दल हितैषी, अंशु मालवीय, सुधीर सिंह, पद्मा जी, उत्पला, के.के. पाण्डेय, शेष नारायण शेष, आइसा के छात्र नेता सुनील मौर्य, रघुनन्दन और रामायन राम, शशिकांत पाण्डेय आदि उपस्थित रहे.    

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