एक
चेला : गुरूजी, क्या हमारे देश के मुसलमान विदेशी हैं?
गुरू : हां, शिष्य, विदेशी हैं.
चेला : वे कहां से आए हैं?
गुरू : वे ईरान, तूरान और अरब से आए हैं.
चेला : लेकिन अब वे कहां के नागरिक हैं?
गुरू : भारत के.
चेला : वे कहां की भाषाएं बोलते हैं?
गुरू : भारत की भाषाएं बोलते हैं.
चेला : उनके रहन-सहन तथा सोच-विचार का तरीका किस देश के लोगों जैसा है?
गुरू : भारत के लोगों जैसा है.
चेला : तब वे विदेशी कैसे हुए गुरूजी?
गुरू : इसलिए कि उनका धर्म विदेशी है.
चेला : बौद्ध धर्म कहां का है गुरूजी?
गुरू : भारतीय है शिष्य.
चेला : तो क्या चीनी, जापानी, थाई और बर्मी बौद्धों को भारत चले आना चाहिए?
गुरू : नहीं... नहीं शिष्य! चीनी, जापानी और थाई यहां आकर क्या करेंगे?
चेला : तो भारतीय मुसलमान ईरान, तूरान और अरब जाकर क्या करेंगे?
दो
गुरू : चेला, हिंदू-मुसलमान एक साथ नहीं रह सकते.
चेला : क्यों गुरूदेव?
गुरू : दोनों में बड़ा अंतर है.
चेला : क्या अंतर है?
गुरू : उनकी भाषा अलग है...हमारी अलग है.
चेला : क्या हिंदी, कश्मीरी, सिंधी, गुजराती, मराठी, मलयालम, तमिल, तेलुगु, उड़िया,
बंगाली आदि भाषाएं मुसलमान नहीं बोलते...वे सिर्फ उर्दू बोलते हैं?
गुरू : नहीं...नहीं, भाषा का अंतर नहीं है... धर्म का अंतर है.
चेला : मतलब दो अलग-अलग धर्मों के मानने वाले एक देश में नहीं रह सकते?
गुरू : हां...भारतवर्ष केवल हिंदुओं का देश है.
चेला : तब तो सिखों, ईसाईयों, जैनियों, बौद्धों, पारसियों, यहूदियों को इस देश से
निकाल देना चाहिए.
गुरू : हां, निकाल देना चाहिए.
चेला : तब इस देश में कौन बचेगा?
गुरू : केवल हिंदू बचेंगे...और प्रेम से रहेंगे.
चेला : उसी तरह जैसे पाकिस्तान में सिर्फ मुसलमान बचे हैं और प्रेम से रहते हैं.
तीन
चेला : गुरू, सांप्रदायिक दंगों में हत्याएं आदि करने वालों को कानून कोई सजा
क्यों नहीं देता?
गुरू : यह हमारे कानून की महानता है शिष्य...
चेला : कैसे गुरूजी?
गुरू : हमारी अदालतें दंगों में हत्याएं करने वालों की भावनाओं को समझती हैं.
चेला : क्या समझती हैं?
गुरू : शिष्य, सांप्रदायिक दंगे में जो मरता है वह सीधे स्वर्ग जाता है न?
चेला : हां, जाता है.
गुरू : तो उसे स्वर्ग भेजने का उपकार कौन करता है?
चेला : हत्या करने वाला.
गुरू : बिलकुल ठीक... तो शिष्य, हमारा कानून इतना बेशर्म नहीं है कि उपकार करने
वालों को फांसी पर चढ़ा दे.
चार
चेला : सांप्रदायिक दंगों की जिम्मेदारी क्या प्रधानमंत्री पर आती है गुरूजी?
गुरू : नहीं.
चेला : मुख्यमंत्री पर आती है?
गुरू : नहीं.
चेला : गृहमंत्री पर आती है?
गुरू : नहीं.
चेला : सांसद या विधायक पर आती है?
गुरू : नहीं.
चेला : जिलाधिकारियों, पुलिस अधिकारियों पर आती है?
गुरू : नहीं.
चेला : फिर सांप्रदायिक दंगों की जिम्मेदारी किस पर आती है?
गुरू : जनता पर.
चेला : मतलब...?
गुरू : मतलब हम पर...
चेला : मतलब?
गुरू : मतलब किसी पर नहीं.
(जनवादी लेखक संघ, दिल्ली राज्य द्वारा गुजरात दंगों पर जारी ‘प्रतिरोध
पुस्तिका’, अप्रैल 2002 से साभार.)
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